गोवा की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में श्री लैराई यात्रा, जिसे शिरगांव जात्रा के नाम से भी जाना जाता है, एक विशेष स्थान रखती है। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत की जीवंत मिसाल है। हर साल अप्रैल या मई में उत्तर गोवा के शिरगांव गांव में हजारों श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेने आते हैं, जिसमें अग्निदिव्य यानी जलते कोयलों पर नंगे पांव चलने की चुनौतीपूर्ण रस्म विशेष आकर्षण का केंद्र होती है।
हाल ही में इस आयोजन के दौरान भगदड़ की दुखद घटना ने पूरे राज्य का ध्यान इसकी सुरक्षा तैयारियों की ओर खींचा, लेकिन इसके साथ ही इस पर्व की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्ता पर भी एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है।
लैराई देवी की महिमा और मंदिर का इतिहास
श्री लैराई देवी को कोंकणी भाषा में "लैराई माँ" कहा जाता है, जिन्हें शक्ति की रूपिणी और रक्षक देवीRead more...