'तो बच जाती दीपू की जान', जिंदा जलाए गए हिन्दू युवक पर यूनुस की पुलिस ने पहले कबूला सच, फिर झाड़ा पल्ला
जब समाज में अफवाहें विवेक पर हावी हो जाती हैं और उन्मादी भीड़ कानून को अपने हाथ में ले लेती है, तो परिणाम न्याय नहीं बल्कि एक वीभत्स नरसंहार होता है। बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले के भालुका से आई दीपू चंद्र दास की हत्या की खबर इसी कड़वी हकीकत का गवाह है। 'ईशनिंदा' के एक निराधार आरोप ने न केवल एक निर्दोष की जान ली, बल्कि इंसानियत के माथे पर भी कलंक लगा दिया।
साजिश, अफवाह और मौत का खूनी खेल
यह खौफनाक मंजर गुरुवार शाम करीब 5:00 बजे 'पायनियर निटवेयर्स लिमिटेड' फैक्ट्री में शुरू हुआ। दीपू चंद्र दास, जो इसी गारमेंट फैक्ट्री में एक साधारण कर्मचारी था, उस पर कुछ सहकर्मियों ने सोशल मीडिया के जरिए धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप मढ़ दिया।
भीड़ का उन्माद इतनी तेजी से फैला कि किसी ने तथ्यों की जांच करना जरूरी नहीं समझा। हालांकि, घटना के बाद RAB-14 के कमांडर मोहम्मद शमसुज्जमां ने स्पष्ट किया कि दीपू के फेसबुक प्रोफाइल की गहन जांच में ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो आपत्तिजनक Read more...