भारतीय सेना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत अब आतंकवाद को केवल सहन करने वाला देश नहीं रहा, बल्कि उस पर निर्णायक और सटीक प्रहार करने में सक्षम और इच्छाशक्ति से भरा देश बन चुका है। "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत भारत ने पाकिस्तान की सरहद के भीतर घुसकर तीन बड़े आतंकियों को ढेर किया और उनके 9 ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया।
इस सफल सैन्य कार्रवाई की जानकारी शनिवार को सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रेसवार्ता में साझा की। इस कार्रवाई से पाकिस्तान सरकार और सेना दोनों को गहरा झटका लगा है। भारत का यह सटीक और साहसी ऑपरेशन न केवल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसका संदेश भी साफ था: "भारत आतंक का जवाब अब सीमा के दोनों ओर देगा।"
1. मुदस्सर खादियान खास उर्फ अबू जुंदाल: मुंबई हमले का मास्टरमाइंड ढेर
इस ऑपरेशन में मारा गया पहला बड़ा आतंकी था मुदस्सर खादियान खास, जिसे अबू जुंदाल के नाम से भी जाना जाता था। यह लश्कर-ए-तैयबा का वरिष्ठ कमांडर था और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मुरीदके स्थित मरकज तैयबा का प्रमुख था। अबू जुंदाल की भूमिका 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में रही थी और वह अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम बन चुका था।
इसकी मौत को सुरक्षा विशेषज्ञ लश्कर के लिए बड़ा झटका मान रहे हैं। वह न सिर्फ आतंकी हमलों की योजना बनाता था, बल्कि कई आतंकी मॉड्यूल्स को प्रशिक्षण और हथियार भी उपलब्ध कराता था।
2. पाक सेना का शर्मनाक रवैया: आतंकियों को गार्ड ऑफ ऑनर
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि मुदस्सर की मौत के बाद पाकिस्तान ने उसे गार्ड ऑफ ऑनर दिया। न केवल पाक सेना प्रमुख बल्कि पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने भी पुष्पांजलि अर्पित की। इतना ही नहीं, जमात-उद-दावा के आतंकी हाफिज अब्दुल रऊफ ने उसकी जनाजे की नमाज अदा करवाई।
यह घटना पाकिस्तान की आतंकवाद के प्रति नीति को एक बार फिर दुनिया के सामने उजागर करती है। जहां एक ओर पाकिस्तान खुद को आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाला देश बताता है, वहीं दूसरी ओर वह आतंकियों को राजकीय सम्मान देता है।
3. हाफिज जमील: जैश-ए-मोहम्मद का ‘ब्रेनवॉश मास्टर’ भी मारा गया
भारतीय सेना की इस कार्रवाई में मारा गया दूसरा बड़ा नाम था हाफिज जमील, जो कि कुख्यात आतंकी मौलाना मसूद अजहर का साला था। यह जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर स्थित मरकज सुभान अल्लाह का प्रमुख था। उसकी जिम्मेदारी युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा में ढालकर उन्हें आत्मघाती हमलों के लिए तैयार करना था।
हाफिज जमील न केवल भर्ती और प्रशिक्षण का काम करता था, बल्कि आर्थिक फंडिंग की व्यवस्था भी करता था। भारत में हुए कई हमलों में उसकी संलिप्तता रही है। उसकी मौत जैश की कमर तोड़ने जैसा माना जा रहा है।
4. मोहम्मद यूसुफ अजहर: कंधार हाइजैक का मास्टरमाइंड ढेर
तीसरा और सबसे चर्चित चेहरा था मोहम्मद यूसुफ अजहर, जिसे उस्ताद जी, मोहम्मद सलीम और घोसी जैसे नामों से भी जाना जाता था। यह कुख्यात आतंकी मौलाना मसूद अजहर का बहनोई था और IC 814 विमान हाइजैक का मुख्य साजिशकर्ता था।
यूसुफ पाकिस्तान में छिपा हुआ था और लगातार अपनी पहचान बदल रहा था। उसकी गतिविधियां हथियारों की तस्करी, आतंकी नेटवर्क की फंडिंग और हमलों की योजना तक सीमित नहीं थीं, बल्कि वह संगठन का ‘फील्ड ऑपरेशनल हेड’ माना जाता था।
इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड नोटिस जारी कर रखा था, और भारत लंबे समय से उसकी तलाश कर रहा था। सेना ने उसे इस ऑपरेशन में निशाना बनाकर एक बड़ी कामयाबी हासिल की।
5. ऑपरेशन सिंदूर: सटीकता और संयम का प्रतीक
सेना की तरफ से साझा की गई जानकारी के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर को बेहद गोपनीयता और रणनीतिक सटीकता के साथ अंजाम दिया गया। यह ऑपरेशन पाकिस्तान के भीतर करीब 15 किलोमीटर अंदर तक जाकर किया गया, जिसमें 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया। इसमें ड्रोन, सर्जिकल स्ट्राइक और स्पेशल फोर्स यूनिट्स की अहम भूमिका रही।
सेना के अधिकारियों ने बताया कि सभी टारगेट्स पहले से चिन्हित थे और खुफिया एजेंसियों की मदद से यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी नागरिक को नुकसान न हो।
6. दुनिया को मिला भारत का स्पष्ट संदेश
इस ऑपरेशन ने यह भी साफ कर दिया है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ "डिफेंसिव पॉलिसी" नहीं अपनाएगा। यह नया भारत है, जो दुश्मन को उसी की ज़मीन पर जाकर सबक सिखाएगा। इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी समर्थन मिल रहा है, क्योंकि इसमें केवल आतंकवादियों को ही निशाना बनाया गया।
निष्कर्ष: आतंकियों के लिए अब कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं
ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सैन्य इतिहास में एक नई मिसाल बनकर सामने आया है। इसने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि आतंकवाद को पालने वालों के लिए अब भारत में कोई नरमी नहीं है। देश की सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व अब हर खतरे को मिटाने की रणनीति पर काम कर रही है।
तीन कुख्यात आतंकियों की मौत और नौ ठिकानों का ध्वस्त होना, सिर्फ एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि भारत के साहस, तकनीक और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि आतंक के खिलाफ भारत अब "संयमित आक्रामकता" की नीति पर आगे बढ़ेगा।