ईरान की सुरक्षा एजेंसियों ने पश्चिमी अज़रबैजान प्रांत में एक बड़े आतंकी हमले की साजिश का सफलतापूर्वक भंडाफोड़ किया है. देश के सुरक्षा तंत्र को सतर्क कर देने वाली यह घटना उर्मिया काउंटी की सीमा पर हुई, जहाँ सुरक्षा बलों ने अज़रबैजान के रास्ते देश के भीतर भेजी जा रही भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री और हथियारों की एक बड़ी खेप को जब्त किया.
यह ऑपरेशन इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की ग्राउंड फोर्स और उसकी इंटेलिजेंस ऑर्गनाइजेशन की संयुक्त कार्रवाई का परिणाम था.
IRGC के हम्जे सैय्यद अल-शुहदा बेस द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, यह सफलता कई दिनों से चल रही हाई-टेक निगरानी, इंटेलिजेंस ट्रैकिंग और जमीनी ऑपरेशन के माध्यम से हासिल हुई. बरामद माल में निम्नलिखित सामग्री शामिल थी, जो किसी भी बड़े और विनाशकारी हमले को अंजाम देने के लिए पर्याप्त मानी जाती है:
बड़े पैमाने पर अस्थिरता फैलाने की थी साजिश
ईरानी अधिकारियों का दावा है कि इस पूरे हथियार नेटवर्क का उद्देश्य सीमा पार से घुसपैठ करके देश के आंतरिक हिस्सों में दहशत फैलाना था. इस तस्करी का मुख्य मकसद बड़े पैमाने पर सबोटाज (तोड़फोड़), सुरक्षा ढांचे में अस्थिरता पैदा करना और अंदरूनी इलाकों में दहशत फैलाना था.
सुरक्षा एजेंसियों की समय रहते सतर्कता और संयुक्त कार्रवाई ने इस खतरनाक खेल को शुरू होने से पहले ही रोक दिया, जिससे देश एक बड़े आतंकी खतरे से बच गया.
अन्य इलाकों में भी सक्रिय आतंकी नेटवर्क
यह पहली बार नहीं है जब IRGC ने किसी आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त किया है. ईरान की सुरक्षा एजेंसियाँ देश की पश्चिम और पूर्वी सीमाओं पर लगातार ऐसे तत्वों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही हैं.
कुछ ही दिन पहले, IRGC ने दक्षिण-पूर्वी प्रांत सिस्तान और बलूचिस्तान में कुख्यात आतंकी संगठन अंसर अल-फुरकान के एक मॉड्यूल को ध्वस्त किया था. यह इलाका लंबे समय से विदेशी समर्थित आतंकी संगठनों की गतिविधियों के लिए एक हॉटस्पॉट रहा है, जो क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने की फिराक में रहते हैं.
अक्टूबर 2024 का घातक हमला
सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में सुरक्षा चुनौतियां कितनी गंभीर हैं, इसका अंदाजा अक्टूबर 2024 के घातक हमले से लगाया जा सकता है.
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हमला: 26 अक्टूबर 2024 को तफ्तान काउंटी के गोहरकूह ज़िले में हुए आतंकी हमले में ईरान के 10 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे.
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जिम्मेदारी: इस हमले की जिम्मेदारी कुख्यात आतंकवादी संगठन जैश अल-अदल ने ली थी. यह हाल के महीनों में इस क्षेत्र में सबसे घातक हमलों में से एक था.
जैश अल-अदल ईरान में कई बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दे चुका है. यह समूह अक्सर सीमा सुरक्षा बलों का अपहरण करता है, पुलिस चौकियों पर हमलों की योजना बनाता है और निर्दोष नागरिकों को भी निशाना बनाता है. इस आतंकी समूह का मूल मकसद सीमावर्ती क्षेत्रों में अफरा-तफरी और अस्थिरता फैलाना है.
ईरान की सुरक्षा एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि उर्मिया में पकड़ी गई विस्फोटक सामग्री का संबंध जैश अल-अदल या अन्य किसी बड़े आतंकी समूह से है या नहीं.