रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हाल ही में एक अहम फोन बातचीत हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने यूक्रेन के साथ रूस की चल रही जंग पर विस्तार से चर्चा की। यह बातचीत वैश्विक राजनीति के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इसमें रूस के युद्ध के इरादों के साथ-साथ संघर्ष विराम की संभावनाओं पर भी बात हुई।
पुतिन-ट्रंप की बातचीत का सार
पुतिन ने इस बातचीत में स्पष्ट किया कि रूस यूक्रेन में अपने निर्धारित लक्ष्यों को नहीं छोड़ेगा और युद्ध को जल्द खत्म करने के लिए दबावों को स्वीकार नहीं करेगा। वहीं, उन्होंने संघर्ष विराम पर बातचीत की प्रक्रिया को पुनः शुरू करने की इच्छा जताई, जो एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। हालांकि, अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत किस दिन और कहां होगी, लेकिन चर्चा के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि इस्तांबुल इस बातचीत के लिए संभावित स्थल हो सकता है।
ट्रंप की प्रतिक्रिया
फोन कॉल के बाद ट्रंप ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वार्ता लंबी और गंभीर रही। उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई, जिनमें ईरान मुद्दा भी शामिल था। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि यूक्रेन को लेकर रूस के रुख से वे खुश नहीं हैं और फिलहाल इस बातचीत से कोई निर्णायक नतीजा नहीं निकला है। हालांकि उन्होंने संघर्ष को जल्द समाप्त करने की जरूरत पर जोर दिया।
रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि
रूस और यूक्रेन के बीच तनाव की शुरुआत फरवरी 2014 में हुई थी, लेकिन 24 फरवरी 2022 को रूस ने बड़े पैमाने पर यूक्रेन पर हमला कर युद्ध की घोषणा कर दी। रूस का मुख्य उद्देश्य था कि यूक्रेन को नाटो जैसे पश्चिमी सैन्य गठजोड़ में शामिल होने से रोका जाए। इस युद्ध के कारण यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा शरणार्थी संकट पैदा हुआ है। अनुमान है कि करीब 80 लाख लोग यूक्रेन छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं, जबकि यूक्रेन के अंदर भी लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं।
पहले भी हुई थी संघर्ष विराम की कोशिश
मार्च 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में दोनों पक्षों के बीच 30 दिन के लिए युद्धविराम पर सहमति बनी थी, लेकिन बाद में कुछ शर्तें पूरी न होने के कारण यह समझौता असफल रहा और जंग जारी रही। तब से अब तक युद्ध में भारी जनहानि और आर्थिक नुकसान हुआ है।
युद्ध का मानवीय और आर्थिक प्रभाव
फरवरी 2022 से अगस्त 2022 तक की अवधि में इस युद्ध में करीब 5500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लगभग 8500 लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा, युद्ध के कारण यूक्रेन की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है और देश के अधिकांश हिस्से युद्ध की वजह से प्रभावित हैं। शरणार्थियों के बढ़ते दबाव और युद्ध के चलते वैश्विक ऊर्जा बाजार और खाद्य सुरक्षा पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है।
आगे क्या होगा?
पुतिन और ट्रंप की बातचीत से यह संकेत मिलते हैं कि दोनों पक्ष संघर्ष विराम की दिशा में आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन वास्तविक शांति के लिए कई बाधाएं अभी भी बनी हुई हैं। इस्तांबुल में संभावित बातचीत से पहले दोनों देशों को कई मुद्दों पर समझौता करना होगा, जिसमें यूक्रेन की संप्रभुता, नाटो का विस्तार, और आर्थिक प्रतिबंध जैसे विषय प्रमुख हैं।
निष्कर्ष
रूस-यूक्रेन युद्ध अभी भी विश्व राजनीति का सबसे संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है। पुतिन और ट्रंप के बीच हुई यह फोन बातचीत इस जंग के अंत की उम्मीद जगा रही है, लेकिन इस दिशा में अभी भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। वैश्विक समुदाय की निगाहें अब इस्तांबुल में होने वाली संभावित बातचीत पर टिकी हैं, जो इस संघर्ष को समाप्त करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। इस बीच, युद्ध के कारण उपजे मानवीय संकट को भी कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास तेज हो रहे हैं।