अमेरिका का नया कदम: ‘न्यू G20’ ढांचा लॉन्च, दक्षिण अफ्रीका बाहर और पोलैंड नई एंट्री

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Posted On:Friday, December 5, 2025

2026 में मियामी में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिका ने वैश्विक समूह की संरचना में सबसे बड़ा बदलाव कर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने घोषणा की कि पारंपरिक जी20 प्रारूप में संशोधन करते हुए ‘न्यू G20’ ढांचा तैयार किया गया है, जिसमें पोलैंड को नई सदस्यता दी गई है, जबकि दक्षिण अफ्रीका को बाहर कर दिया गया है। यह फैसला केवल सदस्यता परिवर्तन भर नहीं है, बल्कि एक संकेत भी है कि आने वाले वर्षों में अमेरिका वैश्विक आर्थिक नेतृत्व, ऊर्जा सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में नए गठबंधन खड़े करने की रणनीति पर काम कर रहा है।

रूबियो के सख्त आरोप: दक्षिण अफ्रीका क्यों बाहर?

मार्को रूबियो ने अपने ब्लॉग ‘America Welcomes a New G20’ में दक्षिण अफ्रीका पर तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अपनी G20 अध्यक्षता के दौरान दक्षिण अफ्रीका ने:

  • द्वेष फैलाने वाली राजनीति

  • वैश्विक विभाजनकारी एजेंडा

  • चरमपंथी विदेश नीति रुझान

रूबियो के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका का रुझान पारंपरिक लोकतांत्रिक सहयोग से हटकर रूस, चीन और ईरान के साथ वैचारिक ध्रुवीकरण की दिशा में बढ़ रहा था, जो G20 की मूल भावना के खिलाफ है। रूबियो ने यहां तक कहा कि रंगभेद समाप्ति के बाद दक्षिण अफ्रीका के पास अंतरराष्ट्रीय सहयोग का सुनहरा मौका था, लेकिन देश ने उसे नस्लीय कोटे, पुनर्वितरणवादी नीतियों और आर्थिक प्रतिबंधों के जरिए खो दिया, जिससे:

  • विदेशी निवेश रुका

  • पूंजी पलायन हुआ

  • विकास ढांचा कमजोर हुआ

पोलैंड की एंट्री: अमेरिका का नया रणनीतिक पार्टनर

इस पूरे बदलाव की सबसे बड़ी राजनीतिक और आर्थिक व्याख्या यह है कि अमेरिका ने अपने नए G20 में पोलैंड को विशेष महत्व देते हुए शामिल किया है। रूबियो के अनुसार:

  • पोलैंड यूरोप में स्थिरता और सुरक्षा का स्तंभ बन चुका है

  • रूस-यूक्रेन संघर्ष में अमेरिकन नीति का सबसे मजबूत समर्थक

  • लोकतांत्रिक ढांचे और तकनीकी विकास में अमेरिका का विश्वसनीय वैश्विक सहयोगी

रूबियो ने पोलैंड को “फ्यूचर सेंट्रिक डेवलपमेंट मॉडल” बताते हुए कहा कि अमेरिका उसके साथ मिलकर नए आर्थिक और डिजिटल ढांचे को आगे बढ़ाना चाहता है।

न्यू G20: नए लक्ष्य और कार्यप्रणाली

रूबियो के बयान के अनुसार अब ‘न्यू G20’ तीन प्रमुख रणनीतिक उद्देश्यों पर काम करेगा:

प्रमुख विषय लक्ष्य
नियामकीय बोझ कम करना ग्लोबल ट्रेड सिस्टम को कम नियमों और उच्च दक्षता के साथ पुनर्गठित करना
सस्ती और सुरक्षित ऊर्जा सप्लाई चेन अमेरिका-यूरोप-इंडो-पैसिफिक के बीच स्थायी ऊर्जा नेटवर्क बनाना
AI व अग्रिम तकनीकी नेतृत्व क्वांटम, AI, साइबर, डिजिटल प्रोटोकॉल में पश्चिमी नेतृत्व सुनिश्चित करना

इन तीनों के लिए चार कार्य-समूह संरचना बनाई जाएगी, जिसका सीधा लक्ष्य चीन, रूस और BRICS ब्लॉक की वैकल्पिक आर्थिक मॉडल को बैलेंस करना है।

अमेरिका के 250वें वर्ष में पहली मेजबानी

रूबियो ने यह भी रेखांकित किया कि 2026 का शिखर सम्मेलन अमेरिका की 250वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ पर आयोजित होगा। 2009 के बाद यह पहला मौका होगा जब अमेरिका G20 की मेजबानी करेगा, इसलिए वॉशिंगटन इसे:

  • नई वैश्विक शक्ति धुरी

  • आर्थिक नेतृत्व के पुनर्गठन

  • सुरक्षा आधारित आर्थिक समूहों के निर्माण

के रूप में देख रहा है।

वैश्विक संकेत: BRICS बनाम न्यू G20?

दक्षिण अफ्रीका को बाहर करने और पोलैंड को शामिल करने के फैसले को कई रणनीतिक विशेषज्ञ BRICS बनाम न्यू G20 की नई प्रतिस्पर्धी ध्रुवीयता के रूप में देख रहे हैं।

  • BRICS का विस्तार (सऊदी, UAE, ईरान, मिस्र शामिल)

  • न्यू G20 का पुनर्विन्यास (पोलैंड शामिल, दक्षिण अफ्रीका बाहर)

यह दर्शाता है कि आने वाला दशक तकनीक, ऊर्जा और सैन्य-आर्थिक गठबंधनों की नई विश्व व्यवस्था बनाने जा रहा है।


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