Aaj Ka Panchang 04 November 2025: सनातन धर्मावलंबियों के लिए वैकुंठ चतुर्दशी का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के साथ देवों के देव महादेव की भी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग इस चतुर्दशी पर सच्चे मन से दोनों देवताओं की पूजा करते हैं, उन्हें निश्चित पुण्य की प्राप्ति होती है। द्रुक पंचांग के अनुसार, वैकुंठ चतुर्दशी आज 4 नवंबर 2025 को मनाई जा रही है। हालाँकि, इसी दिन मणिकर्णिका स्नान भी है। आइए अब 4 नवंबर 2025 के पंचांग के बारे में जानते हैं।
पंचांग- 04.11.2025
युगाब्द -     5126 
संवत्सर -   सिद्धार्थ 
विक्रम संवत् -2082   
शाक:-     1947 
ऋतु __    हेमन्त 
सूर्य  __   दक्षिणायन
मास __   कार्तिक 
पक्ष  __   शुक्ल पक्ष 
वार   __  मंगलवार 
तिथि - चतुर्दशी    22:35:42 
नक्षत्र    रेवती    12:33:41
योग    वज्र    15:41:51
करण    गर    12:23:24
करण    वणिज    22:35:42
चन्द्र राशि      - मीन    till 12:33:41
चन्द्र राशि     -  मेष    from 12:33:41
सूर्य राशि     -  तुला
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩  👉🏻  वैकुंठ चतुर्दशी 
🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁
👉🏻 कार्तिक/ सत्य पूर्णिमा व्रतम्
        05/11/25 (बुधवार)
👉🏻 चतुर्थी व्रत
        08/11/25 (शनिवार)
👉🏻 कालाष्टमी
        12/11/25 (बुधवार)
👉🏻 उत्पन्ना/ वैतरणी एकादशी
        15/11/25 (शनिवार)
👉🏻 प्रदोष व्रत
        17/11/25 (सोमवार)
👉🏻 पितृ अमावस
        19/11/25 (बुधवार)
👉🏻 देवकार्य अमावस
        20/11/25 (गुरुवार)
 🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉  || सभी प्रभु प्रेम के पात्र || 
प्रभु प्रेम के सभी जीव पात्र ही हैं क्योंकि सर्व व्यापकता के कारण ईश्वरीय सत्ता भेदभाव के गुण से रहित है। जिस प्रकार सूर्यदेव द्वारा भेदभाव न करने पर भी बंद कमरे के भीतर रहने से प्रकाश की प्राप्ति नहीं हो सकती, सूर्य किरणों की प्राप्ति के लिए आपको कमरे से बाहर आना ही पड़ेगा। ऐसे ही प्रभु का प्रेम तो भेदभाव रहित सबके लिए एक समान ही है, लेकिन उनकी शरणागति को स्वीकार किए बिना उसकी प्राप्ति भी संभव नहीं है।भेदभाव मानवीय बुद्धि की उपज है। बिना सत्संगति के विवेक के अभाव में तर्क-बुद्धि का नाश नहीं हो सकता और जब तक बुद्धि, तर्कों को जन्म देती रहेगी तब तक हमारे भीतर उस ईश्वरीय सत्ता के प्रति कृतज्ञता का भाव भी नहीं उपज सकता है। सदैव धर्म-सत्कर्म में रत रहने वाला, संतों-वैष्णवों की सेवा करने वाला, प्रभु से प्रेम करते हुए भक्ति पूर्वक भजन करने वाला जीव ही प्रभु का प्रिय बन पाता है।
जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर  (जयपुर)