महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने हाल ही में जारी की गई महिंद्रा एंड महिंद्रा की वार्षिक रिपोर्ट में विश्व व्यापार पर मंडरा रहे संकट, ग्लोबल टैरिफ वॉर, और अस्थिर सप्लाई चेन जैसी चुनौतियों की चर्चा की। उन्होंने इस परिदृश्य के बीच भारत को एक उभरते हुए अवसरों वाले देश के रूप में बताया है। उनका मानना है कि बदलते वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत दुनिया के लिए एक विश्वसनीय, स्थिर और रणनीतिक साझेदार बनकर उभर सकता है।
वैश्विक अनिश्चितता की पृष्ठभूमि
आनंद महिंद्रा का विश्लेषण इस बात को दर्शाता है कि वर्तमान में विश्व व्यापार व्यवस्था एक बड़े संक्रमण काल से गुजर रही है। अमेरिका, चीन, यूरोप जैसे बड़े देश संरक्षणवादी नीतियों (Protectionism) की तरफ झुक रहे हैं, जिससे वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ी है। अमेरिका की टैरिफ नीतियों से शुरू हुई यह होड़ अब ग्लोबल टैरिफ वॉर, जवाबी शुल्क, और नई व्यापारिक साझेदारियों के रूप में दिखाई दे रही है।
उन्होंने लिखा कि इंटरनेशनल ट्रेड की रफ्तार धीमी हो गई है और निवेशकों का भरोसा भी कमजोर पड़ा है। इसके चलते वैश्विक कंपनियां विकल्प खोजने पर मजबूर हैं, जो उनके लिए भरोसेमंद, स्थिर और लागत-अनुकूल हो।
अमेरिका-चीन टकराव और इसका असर
रिपोर्ट में आनंद महिंद्रा ने खासतौर पर अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव का जिक्र किया। उन्होंने चेताया कि इस टकराव का सीधा असर उपभोक्ता वस्तुओं और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री पर पड़ रहा है, क्योंकि यह सेक्टर ग्लोबल सप्लाई चेन पर अत्यधिक निर्भर है। इन क्षेत्रों में इनपुट लागतों में भारी वृद्धि देखी जा रही है।
उन्होंने कहा कि अब यह जरूरी हो गया है कि देश अपनी निर्भरता पर पुनर्विचार करें और सप्लाई चेन को विविधता दें। इससे न केवल व्यापार में स्थायित्व आएगा, बल्कि संकट के समय स्थानीय विकल्प भी तैयार होंगे।
भारत के लिए अवसर की घड़ी
इस ग्लोबल परिदृश्य में भारत के लिए कई बड़े अवसर पैदा हो रहे हैं। आनंद महिंद्रा का मानना है कि चीन के प्रति वैश्विक रुख में बदलाव और हाई टैरिफ के कारण प्रतिस्पर्धी देशों से दूरी भारत को विकल्प के रूप में सामने लाने का अवसर दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत को इन अवसरों को पकड़ने के लिए अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मज़बूत करना होगा और निजी निवेश को आकर्षित करना होगा। अनुसंधान एवं नवाचार (R&D) पर ध्यान देकर भारत वैश्विक बाजारों में अपनी पकड़ को मजबूत कर सकता है।
भारत का विश्वास और वैश्विक छवि
आनंद महिंद्रा ने कहा कि वैश्विक व्यापारिक साझेदारों की नजरों में भारत एक भरोसेमंद और स्थिर लोकतंत्र है। उन्होंने बताया कि भारत न केवल राजनीतिक स्थिरता प्रदान करता है, बल्कि उसकी स्वतंत्र सैन्य शक्ति और गैर-राजनीतिक रक्षा संरचना उसे वैश्विक दृष्टिकोण से और अधिक भरोसेमंद बनाती है।
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत को तेजी से आगे बढ़ना होगा, क्योंकि वियतनाम और फिलीपींस जैसे देश पहले ही वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के प्रयासों में जुटे हुए हैं। इसलिए अगर भारत को इस रेस में आगे रहना है, तो उसे गति, नीति और निवेश के मोर्चे पर सतत सक्रिय रहना होगा।
रणनीतिक सुझाव और दीर्घकालिक दृष्टिकोण
रिपोर्ट में आनंद महिंद्रा ने भारत के लिए एक व्यापक रणनीतिक रोडमैप की जरूरत पर जोर दिया। इसमें शामिल हैं:
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उद्योग-अकादमिक साझेदारी को बढ़ावा देना,
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स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं का विकास करना,
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स्टार्टअप और इनोवेशन इकोसिस्टम को बढ़ावा देना,
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निजी निवेश और FDI के लिए बेहतर माहौल बनाना।
महिंद्रा के मुताबिक, भारत को मेक इन इंडिया, पीएलआई स्कीम्स, और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसे अभियानों को और मजबूत बनाकर आगे बढ़ना होगा।
निष्कर्ष
आनंद महिंद्रा की यह रिपोर्ट केवल व्यापारियों के लिए एक संदेश नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए एक प्रेरक आह्वान है। वैश्विक अनिश्चितताओं के इस दौर में जहां एक तरफ संकट है, वहीं दूसरी ओर भारत के लिए संभावनाओं की एक नई दुनिया खुलती नजर आ रही है।
यदि भारत अपनी क्षमता, नीति और निष्पादन में संतुलन बनाए रखे, तो आने वाला दशक भारत को वैश्विक आर्थिक नेतृत्व की ओर ले जा सकता है।
भारत के पास न केवल जनसंख्या और संसाधनों की शक्ति है, बल्कि अब वैश्विक विश्वास और रणनीतिक समर्थन भी है। यही समय है, जब भारत को इस भरोसे को आर्थिक उपलब्धियों में बदलने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।