SIP Calculation: 3000 रुपये की एसआईपी से 15 साल बाद कितना बनेगा फंड, देखें गुणा-गणित

Photo Source :

Posted On:Friday, December 12, 2025

नई दिल्ली: आज के दौर में, जब पारंपरिक निवेश के तरीके महंगाई को मात देने में संघर्ष कर रहे हैं, म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) में निवेश एक आकर्षक विकल्प बनकर उभरा है। म्यूचुअल फंड्स में निवेश का सबसे लोकप्रिय और अनुशासित तरीका सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) है। एसआईपी के जरिए छोटी बचत को भी एक बड़ा फंड बनाने का मौका मिलता है, बशर्ते निवेश लंबी अवधि के लिए किया जाए। हालांकि, यह समझना जरूरी है कि म्यूचुअल फंड्स से मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह से शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। आज हम एसआईपी कैलकुलेशन की मदद से समझेंगे कि यदि कोई निवेशक हर महीने ₹3,000 का निवेश 15 साल तक जारी रखता है, तो उसे अनुमानित तौर पर कितना फंड मिल सकता है।

एसआईपी कैलकुलेशन का गणित

यहां हम एक अनुमानित गणना प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसमें 12% के औसत वार्षिक रिटर्न (CAGR) की अपेक्षा की गई है, जो कि लंबी अवधि में इक्विटी फंड्स द्वारा दिया जाने वाला एक संभावित रिटर्न दर है।

पैरामीटर विवरण
निवेश रकम हर महीने ₹3,000
निवेश अवधि 15 साल (180 महीने)
अनुमानित रिटर्न दर 12% वार्षिक
कुल निवेश रकम ₹5,40,000 (3000 x 180)
अनुमानित रिटर्न ₹9,74,000
15 साल बाद कुल फंड लगभग ₹15,14,000

यदि निवेशक अपनी एसआईपी को बिना रोके 15 साल तक जारी रखता है और उसे अनुमानित 12% का रिटर्न मिलता है, तो वह ₹5,40,000 के कुल निवेश पर लगभग ₹9,74,000 का रिटर्न कमा सकता है, जिससे 15 साल बाद कुल ₹15 लाख से अधिक का एक बड़ा फंड तैयार हो सकता है।

एसआईपी (SIP) क्या है और इसके फायदे

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) का मतलब है एक निश्चित समय अंतराल (आमतौर पर मासिक) पर एक निश्चित राशि का निवेश करना। यह निवेश का एक अनुशासित तरीका है।

प्रमुख फायदे:

  1. छोटे निवेश से शुरुआत: एसआईपी के जरिए आप ₹100 जितनी कम राशि से भी निवेश शुरू कर सकते हैं। इसमें अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है।

  2. फ्लेक्सिबिलिटी (लचीलापन): आप अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार कभी भी एसआईपी की राशि को बढ़ा या घटा सकते हैं (टॉप-अप या स्टेप-अप)। आप जब चाहें इसे रोक भी सकते हैं।

  3. लंबी अवधि: एफडी या आरडी की तरह इसमें कोई निश्चित समय सीमा नहीं होती, आप कितने भी लंबे समय के लिए निवेश जारी रख सकते हैं।

  4. रुपया कॉस्ट एवरेजिंग (Rupee Cost Averaging): यह सुविधा निवेशक को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाती है। जब बाजार नीचे होता है, तो आपके निवेश से अधिक यूनिट्स खरीदी जाती हैं, जिससे आपकी प्रति यूनिट औसत लागत कम हो जाती है।

एसआईपी का नुकसान और जोखिम

एसआईपी के तहत आपका पैसा म्यूचुअल फंड्स में लगता है, जो अंततः शेयर बाजार से जुड़े होते हैं। इसलिए, इनसे मिलने वाला रिटर्न बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। यह रिटर्न अनुमान से कम या ज्यादा भी हो सकता है। किसी भी तरह की गारंटीड रिटर्न की अपेक्षा नहीं की जा सकती। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे निवेश से पहले अपने जोखिम लेने की क्षमता का मूल्यांकन जरूर करें।


बरेली और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. bareillyvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.