मिलते हैं दिव्य संकेत…होती है बच्चों की पहचान; क्या है गदेन फोद्रांग ट्रस्ट? दलाईलामा के चयन में जिसकी है अहम भूमिका

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Posted On:Saturday, July 5, 2025

दलाई लामा का उत्तराधिकारी कौन होगा, इसको लेकर इन दिनों भारत और चीन के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। यह विवाद केवल धार्मिक उत्तराधिकार का नहीं, बल्कि तिब्बती संस्कृति, धार्मिक स्वतंत्रता और क्षेत्रीय राजनीति से भी जुड़ा हुआ है। भारत ने साफ कर दिया है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार चुना जाएगा, न कि किसी सरकार की मंजूरी से। वहीं, चीन दलाई लामा के अगले उत्तराधिकारी की चयन प्रक्रिया पर अपना नियंत्रण चाहता है। इसी बीच एक नाम प्रमुखता से सामने आया है – गदेन फोद्रांग ट्रस्ट (Gaden Phodrang Trust), जो इस पूरे विवाद का केंद्र बन चुका है।


गदेन फोद्रांग ट्रस्ट का क्या है महत्व?

गदेन फोद्रांग ट्रस्ट की स्थापना 17वीं सदी में 5वें दलाई लामा न्गावांग लोबसांग ग्यात्सो ने की थी। इसका उद्देश्य दलाई लामा की आध्यात्मिक और प्रशासनिक विरासत को संरक्षित रखना था। यह ट्रस्ट वर्तमान में दलाई लामा की संस्था के रूप में काम करता है और खासकर उत्तराधिकारी चयन में इसका विशेष महत्व है। तिब्बती बौद्ध धर्म की गेलुग परंपरा के अनुसार, दलाई लामा का पुनर्जन्म होता है और नए दलाई लामा की पहचान इसी परंपरा के वरिष्ठ लामा करते हैं।


14वें दलाई लामा का बयान और ट्रस्ट की भूमिका

2 जुलाई 2025 को 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने यह स्पष्ट कर दिया कि अगला दलाई लामा केवल गदेन फोद्रांग ट्रस्ट द्वारा चुना जाएगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इसमें किसी बाहरी देश, संगठन या व्यक्ति का कोई हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह बयान तब आया जब चीन यह कहता रहा है कि अगला दलाई लामा उसकी मंजूरी से तिब्बत में ही चुना जाएगा। भारत में स्थित इस ट्रस्ट ने दलाई लामा के आधिकारिक कार्यालय के रूप में कार्य किया है, जिसका मुख्यालय धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में है।


उत्तराधिकारी की पहचान कैसे होती है?

गदेन फोद्रांग ट्रस्ट की प्रक्रिया बेहद पारंपरिक और आध्यात्मिक मानी जाती है। तिब्बती मान्यता के अनुसार, दिवंगत दलाई लामा पुनर्जन्म लेते हैं और उनके नए अवतार की पहचान कुछ विशेष लक्षणों, संकेतों और वस्तुओं की पहचान के जरिए की जाती है। जैसे बच्चे अगर पिछले दलाई लामा की पहचानी हुई वस्तुएं जैसे प्रार्थना माला, चप्पल या तसवीरें सही तरीके से पहचानते हैं, तो उन्हें संभावित उत्तराधिकारी माना जाता है।


6 जुलाई को हो सकता है ऐलान?

इस पूरे विवाद के बीच एक और बड़ा सवाल है – क्या 6 जुलाई 2025, यानी दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के मौके पर उनके उत्तराधिकारी का ऐलान होगा? अभी तक ट्रस्ट की ओर से कोई आधिकारिक सूचना नहीं आई है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि इस महत्वपूर्ण दिन पर कोई बड़ा ऐलान हो सकता है।


भारत-चीन के बीच कूटनीतिक तनाव

गदेन फोद्रांग ट्रस्ट की इस प्रक्रिया को लेकर भारत का रुख साफ है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी केवल तिब्बती धार्मिक परंपराओं से ही तय होगा। यह भारत के उस स्टैंड को दर्शाता है, जहां धार्मिक मामलों में सरकार का हस्तक्षेप नहीं होता। वहीं, चीन इसे अपना आंतरिक मामला बताते हुए दलाई लामा पर नियंत्रण चाहता है, क्योंकि वह तिब्बत को अपनी सीमा का हिस्सा मानता है।


ट्रस्ट तिब्बती पहचान और धार्मिक स्वतंत्रता का प्रतीक

गदेन फोद्रांग ट्रस्ट सिर्फ एक संस्था नहीं, बल्कि तिब्बती धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक अस्तित्व का प्रतीक बन गया है। यह ट्रस्ट न केवल दलाई लामा के विचारों को आगे बढ़ा रहा है, बल्कि तिब्बती समुदाय की एकता और धार्मिक मान्यताओं की रक्षा भी कर रहा है। चीन की दखलअंदाजी को लेकर ट्रस्ट की भूमिका और भी अधिक अहम हो गई है।


निष्कर्ष

दलाई लामा का उत्तराधिकारी चयन सिर्फ एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि भारत-चीन के बीच रणनीतिक, धार्मिक और कूटनीतिक तनाव का विषय बन चुका है। गदेन फोद्रांग ट्रस्ट ने साफ कर दिया है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी सिर्फ बौद्ध मान्यताओं से ही तय होगा, न कि चीन के आदेश से। आने वाले समय में यह मुद्दा तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन और भारत-चीन संबंधों में अहम भूमिका निभा सकता है।


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