मुंबई, 17 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नाना पटोले ने गुरुवार को एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में सामने आए हनीट्रैप कांड में सरकार के मंत्री, सीनियर IAS और IPS अधिकारी शामिल हैं। पटोले का कहना है कि सरकार जो आंकड़ा 72 मामलों तक सीमित बता रही है, असल संख्या उससे कहीं ज्यादा है। उन्होंने दावा किया कि उनके पास पेन ड्राइव में इस पूरे कांड से जुड़े सबूत हैं, लेकिन किसी की व्यक्तिगत छवि को नुकसान न पहुंचे, इसलिए अब तक यह सार्वजनिक नहीं किया गया है। पटोले ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो विपक्ष इन सबूतों को जनता के सामने लाने को मजबूर होगा। इससे पहले इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि महाराष्ट्र के कई सीनियर अधिकारियों ने एक महिला पर हनीट्रैप में फंसाकर वसूली करने का आरोप लगाया है। रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में ठाणे के दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने शिकायत दी थी कि महिला ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाने की धमकी देकर 40-40 लाख रुपए की मांग की थी। इस पूरे मामले में सरकार पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए विपक्षी दलों ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस नेता पटोले ने बुधवार को सदन में मामले की जांच और कठोर कार्रवाई की मांग की थी, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सरकार से जवाब देने को कहा। गुरुवार को जब पटोले ने दोबारा यह मुद्दा उठाया तो स्पीकर ने शुक्रवार को सत्र समाप्त होने से पहले जवाब देने का निर्देश दिया। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कार्रवाई का आश्वासन भी दिया, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर ढिलाई बरत रही है, इसलिए विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
मामले की शुरुआत साल 2016 से होती है, जब ठाणे में एक महिला को क्राइम ब्रांच ने जबरन वसूली के आरोप में गिरफ्तार किया था। यह महिला खुद को कभी परेशान पूर्व पुलिसकर्मी तो कभी विधवा बताकर अधिकारियों से मदद मांगती थी। कोर्ट में जमा डोजियर से पता चलता है कि महिला ने कई बार वरिष्ठ अधिकारियों पर बलात्कार के झूठे आरोप लगाए और फिर मोटी रकम लेकर समझौता कर लिया। महिला पहले वॉट्सऐप पर बातचीत करती, वीडियो कॉल करती और मुलाकात के दौरान चुपके से आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड कर लेती थी। बाद में इन्हीं सबूतों के जरिए वह अधिकारियों को ब्लैकमेल कर पैसे वसूलती थी। एक केस में महिला ने एक IPS अधिकारी को मदद के बहाने होटल बुलाया और वहां कपड़े उतारकर चुपचाप बातचीत रिकॉर्ड कर ली, जिसे बाद में जबरन वसूली के लिए इस्तेमाल किया गया। एक अन्य मामले में महिला ने एक सीनियर अधिकारी की पत्नी से भी पैसे वसूल लिए, ताकि उसके पति पर बलात्कार का केस दर्ज न हो। डर और बदनामी के चलते अधिकारी ज्यादातर मामलों में चुप ही रहे। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार महिला का जाल मुंबई, ठाणे, पुणे और नासिक तक फैला था। उसने जिन लोगों को शिकार बनाया उनमें तीन DCP, कई आबकारी अधिकारी, वरिष्ठ इंस्पेक्टर और सहायक आयुक्त जैसे अधिकारी शामिल हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद महिला ने नई पहचान अपनाकर फिर से अपनी गतिविधियां शुरू कर दीं। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में अभी कई जांचें चल रही हैं और और भी पीड़ित सामने आ सकते हैं।