‘गलत प्रधानमंत्री होता तो इजराइल नहीं बचता’, नेतन्याहू से मुलाकात पर ट्रंप की तारीफ

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Posted On:Tuesday, December 30, 2025

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी "डील-मेकर" छवि को दुनिया के सामने पुख्ता किया है। फ्लोरिडा के मार-ए-लागो में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक के दौरान ट्रंप ने एक बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने दुनिया की तीन सबसे बड़ी मुश्किलों को पहले ही सुलझा लिया है।

यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक राजनीति के समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। ट्रंप ने नेतन्याहू के साथ खड़े होकर मीडिया से कहा, "हमारे पास एक बहुत अच्छा ग्रुप है और हमने पहले ही काफी प्रोग्रेस कर ली है। हमारी महज पांच मिनट की बातचीत हुई और हमने तीन जटिल समस्याओं का समाधान निकाल लिया है।"

नेतन्याहू का समर्थन और कूटनीतिक जीत

ट्रंप ने न केवल इजराइल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, बल्कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू की जमकर तारीफ भी की। ट्रंप ने कहा कि इजराइल को नेतन्याहू जैसे मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, "अगर आपके पास गलत प्रधानमंत्री होता, तो शायद आज इजराइल का अस्तित्व ही नहीं होता।"

बैठक में मुख्य रूप से गाजा में युद्धविराम, ईरान की चुनौतियां और हिजबुल्लाह के खतरे पर चर्चा हुई। ट्रंप ने संकेत दिया कि वाशिंगटन की मध्यस्थता के कारण पिछले एक साल में इजराइल ने हमास, ईरान और लेबनान के मोर्चों पर महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की हैं।

सीजफायर और हमास का 'सरेंडर'

ट्रंप ने इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्धविराम (Ceasefire) समझौते के दूसरे चरण को लेकर अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट कर दीं। उनके विजन के केंद्र में कुछ कड़े नियम हैं:

  • हमास का निस्त्रीकरण: ट्रंप ने दो टूक कहा कि शांति के लिए हमास को पूरी तरह निहत्था करना होगा।

  • सरेंडर और शासन का त्याग: अक्टूबर में हुए समझौते के तहत, हमास को न केवल हथियार छोड़ने होंगे बल्कि गाजा में शासन की भूमिका से भी हटना होगा।

  • कैदियों की अदला-बदली: पहले चरण में इजराइली बंधकों की रिहाई के बदले फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ने और गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने पर सहमति बनी थी, जिसे ट्रंप अब अगले स्तर पर ले जाना चाहते हैं।


यूक्रेन से गाजा तक: ट्रंप का 'ग्लोबल मिशन'

नेतन्याहू से मिलने से ठीक एक दिन पहले ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से भी मुलाकात की थी। पाम बीच में हुई इन बैक-टू-बैक मुलाकातों से ट्रंप यह संदेश देना चाहते हैं कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व (Middle East) के संकट, दोनों को एक साथ संभालने की क्षमता रखते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप "पीस थ्रू स्ट्रेंथ" (शक्ति के माध्यम से शांति) की नीति पर चल रहे हैं। उन्होंने ईरान को लेकर भी कड़ा रुख अपनाया है, जिससे इजराइल की सुरक्षा चिंताओं को बल मिला है।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप का यह दावा कि उन्होंने "पांच मिनट में तीन मुश्किलें सुलझा लीं", उनकी विशिष्ट कार्यशैली को दर्शाता है। हालांकि, जमीन पर इन समझौतों का पालन कितना स्थायी होगा, यह आने वाला समय बताएगा। फिलहाल, नेतन्याहू और ट्रंप की यह केमिस्ट्री मध्य पूर्व में एक नए शक्ति संतुलन की ओर इशारा कर रही है, जहां अमेरिका का दखल और इजराइल की सुरक्षा सर्वोपरि है।


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