अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्तों में एक नई गर्माहट और मज़बूती देखने को मिली जब सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) सात साल के अंतराल के बाद वॉशिंगटन पहुंचे। वह आखिरी बार 2018 में अमेरिका गए थे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बार उनका ऐसा शाही स्वागत किया कि पूरा व्हाइट हाउस चमक उठा। MBS के स्वागत के लिए रेड कार्पेट बिछाया गया, मिलिट्री बैंड ने धुनें बजाईं, फ़ाइटर जेट्स ने आसमान में फ्लाईपास्ट किया, और ईस्ट रूम में एक भव्य डिनर का आयोजन किया गया।
ट्रंप इस मुलाकात को लेकर इतने उत्साहित थे कि उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी हत्याकांड पर भी प्रिंस सलमान को क्लीन चिट दे दी। ट्रंप ने कहा कि क्राउन प्रिंस को इस बारे में कुछ पता नहीं था, और "ऐसे मुद्दे उठाकर मेहमान को शर्मिंदा क्यों करना।"
लेकिन इस हाई-प्रोफाइल मुलाकात का सबसे अहम नतीजा यह रहा कि दोनों देशों ने कई बड़े रक्षा और आर्थिक करारों पर मुहर लगाई, जो आने वाले समय में मध्य पूर्व और वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा बदल सकते हैं।
1. F-35 फ़ाइटर जेट डील पर मुहर
इस मुलाकात का सबसे बड़ा और रणनीतिक आकर्षण रहा F-35 फ़ाइटर जेट्स की संभावित बिक्री को औपचारिक मंज़ूरी मिलना।
-
सबसे एडवांस्ड जेट: F-35 अमेरिका का सबसे उन्नत, 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे 2015 से अमेरिकी वायुसेना की रीढ़ माना जाता है। यह पेंटागन के इतिहास का सबसे महंगा और हाई-टेक जेट भी है।
-
डील की मंज़ूरी: राष्ट्रपति ट्रंप ने बैठक के दौरान इस बिक्री को औपचारिक मंजूरी दे दी।
हालांकि, इस डील पर हर जगह ख़ुशी नहीं है। पेंटागन और कई अमेरिकी एजेंसियों ने गहरी चिंता व्यक्त की है क्योंकि सऊदी अरब के चीन के साथ गहरे रक्षा संबंध हैं। उन्हें डर है कि F-35 की गुप्त और संवेदनशील तकनीक कहीं चीन तक न पहुंच जाए।
-
इज़राइल की शर्त: इस डील से मध्य पूर्व का सुरक्षा समीकरण भी बदल जाएगा। अब तक इज़राइल ही इस क्षेत्र में F-35 रखने वाला इकलौता देश था। इज़राइल की स्पष्ट मांग थी कि अगर सऊदी अरब को F-35 दिए जाते हैं, तो बदले में उसे अब्राहम अकॉर्ड्स में शामिल होकर इज़राइल के साथ औपचारिक रूप से रिश्ते सामान्य करने होंगे। इस शिखर वार्ता के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि ऐसा ही हुआ है, जो क्षेत्र में शांति की दिशा में एक बड़ा कदम है।
2. अन्य आर्थिक और तकनीकी करार
F-35 डील के अलावा, दोनों देशों ने कई आर्थिक और तकनीकी समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए, जिनका उद्देश्य सऊदी अरब के 'विजन 2030' लक्ष्यों को गति देना है। इसमें अमेरिकी कंपनियों द्वारा सऊदी अरब के बुनियादी ढांचे और ऊर्जा क्षेत्र में अरबों डॉलर का निवेश शामिल है।
यह मुलाकात न केवल दोनों नेताओं के बीच मज़बूत व्यक्तिगत संबंध को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्थापित करती है कि अमेरिका, सऊदी अरब को मध्य पूर्व में अपना सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा और आर्थिक भागीदार मानता है।