रूस से बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और यूरोप में सुरक्षा परिदृश्य बिगड़ने की बढ़ती आशंकाओं के बीच, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. लगभग 27 साल के अंतराल के बाद, फ्रांस में वॉलंटरी मिलिट्री सर्विस (स्वैच्छिक सैन्य सेवा) की वापसी होने जा रही है. यह पहल कई मायनों में भारत की 'अग्निवीर' योजना के समान दिखाई देती है, जिसका उद्देश्य युवाओं को सीमित अवधि की सैन्य ट्रेनिंग और अनुशासन प्रदान करना है.
मैक्रों इस सप्ताह दक्षिण-पूर्वी फ्रांस में एक इन्फैंट्री ब्रिगेड के दौरे के दौरान इस नई योजना की औपचारिक घोषणा करेंगे. रूस द्वारा यूक्रेन पर पूर्ण आक्रमण को साढ़े तीन साल से अधिक हो चुके हैं, और फ्रांस लगातार चेतावनी दे रहा है कि मॉस्को की आक्रामक महत्वाकांक्षाएँ केवल यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेंगी.
फ्रांस के सेना प्रमुख जनरल फैबियन मांडन ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि देश को अपने नागरिकों, विशेषकर युवाओं, को खोने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि रूस एक बड़े यूरोपीय टकराव की तैयारी कर रहा है जो 2030 तक संभव हो सकता है.
शुरुआत में 3,000, लक्ष्य 50,000 प्रति वर्ष
इस योजना के कार्यान्वयन को चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा:
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पहला चरण: सूत्रों के अनुसार, शुरुआती चरण में 2,000 से 3,000 युवाओं को शामिल किया जाएगा.
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विस्तार: आगे चलकर इस संख्या को बढ़ाकर 50,000 वॉलंटियर्स प्रति वर्ष करने का लक्ष्य रखा गया है.
यह सेवा पूरी तरह से वैकल्पिक (Optional) होगी, न कि अनिवार्य. फ्रांसीसी मीडिया के मुताबिक, 10 महीने की इस सैन्य सेवा के लिए वॉलंटियर्स को लगभग 10,000 यूरो (करीब ₹9 लाख) तक का भुगतान किया जाएगा. इस कार्यक्रम का मुख्य फोकस रूस के बढ़ते खतरे का सामना करने के लिए युवाओं की क्षमता, अनुशासन और देश की समग्र सैन्य तैयारी को बढ़ाना है.
🇪🇺 यूरोप में सैन्य सेवा का बढ़ता चलन
सुरक्षा चिंताओं के चलते फ्रांस अकेला देश नहीं है जो सैन्य सेवा की वापसी पर विचार कर रहा है. यूरोप के कई देश इसी तरह के कदम उठा रहे हैं:
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अनिवार्यता: लातविया और लिथुआनिया इसे पहले ही अनिवार्य सैन्य सेवा बना चुके हैं.
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कठोर नियम: डेनमार्क ने अपनी सैन्य सेवा के नियमों को कड़ा कर दिया है.
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नया मॉडल: जर्मनी ने भी एक नए स्वैच्छिक सैन्य सेवा मॉडल को मंजूरी दी है.
फ्रांस के पास वर्तमान में लगभग 2 लाख सक्रिय सैनिक और 47,000 रिजर्विस्ट (आरक्षित सैनिक) हैं. सरकार इस संख्या को बढ़ाकर 2030 तक 80,000 रिजर्विस्ट करने की तैयारी में है.
युद्ध के मैदान में भेजने की अफवाहों का खंडन
जनरल मांडन के बयान के बाद यह भ्रम फैल गया था कि फ्रांस शायद अपने युवाओं को यूक्रेन भेजने वाला है. हालांकि, राष्ट्रपति मैक्रों ने इस अफवाह को तुरंत खारिज कर दिया.
मैक्रों ने स्पष्ट किया, "हमें यह गलतफहमी दूर करनी होगी। हम अपने युवाओं को यूक्रेन भेजने नहीं जा रहे हैं." उन्होंने कहा कि जनरल का बयान केवल लोगों में चेतावनी और जागरूकता पैदा करने के लिए था, न कि उन्हें सीधे युद्ध में भेजने का संकेत.
फ्रांस की नेशनल स्ट्रैटेजिक रिव्यू 2025 के अनुसार, आने वाले वर्ष 2027 से 2030 के बीच यूरोप के लिए निर्णायक हो सकते हैं, जब उच्च तीव्रता वाले युद्ध, हाइब्रिड अटैक्स, साइबर हमलों और आतंकी गतिविधियों की आशंका बढ़ सकती है. इसी खतरे को देखते हुए फ्रांस की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में नई वॉलंटरी मिलिट्री सर्विस को एक अहम हिस्सा बनाया जा रहा है.